कैसे मुझे तुम मिल गईं
किस्मत पे आए न यकीं
उतर आई झील में
जैसे चाँद उतरता है कभी
हौले हौले धीरे से
गुनगुनी धूप की तरह से तरन्नुम में तुम
छूके मुझे गुज़री हो यूँ
देखूँ तुम्हें या मैं सुनूँ
तुम हो सुकूँ तुम हो जुनूँ
क्यों पहले न आई तुम
कैसे मुझे तुम मिल गईं
किस्मत पे आए न यकीं
मैं तो ये सोचता था के आज कल
उपर वाले को फ़ुरसत नहीं
फिर भी तुम्हें बनाके वो
मेरी नज़र में चढ़ गया
रुतबे में वो और बढ़ गया
बदले रास्ते झरने और नदी
बदले रेत की टिम टिम
छेड़े ज़िंदगी धुन कोई नई
बदले बरखा की रिमझिम
बदलेंगी रितुएं अदा
पर मैं रहूँगी सदा उसी तरह
तेरी बाँहों में बाँहें डालके
हर लम्हा हर पल
ज़िंदगी सितार हो गई
रिमझिम मल्हार हो गई
मुझे आता नहीं किस्मत पे अपनी यकीं
कैसे मुझको मिली तुम
गायक – बैनी दयाल / श्रेया घोषाल
गीतकार – प्रसून जोशी
संगीत – ए आर रहमान
Sunday, January 25, 2009
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