थोड़े भीगे-भीगे से थोड़े नम हैं हम
कल से सोए-वोए भी तो कम हैं हम
दिल ने कैसी हरकत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
पहली बार मोहब्बत की है,
आखिरी बार मोहब्बत की है,
आँखें डूबी-डूबी सुरमई मद्धम
झीलें पानी-पानी, बस तुम और हम
बात बढ़ी हैरत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
ख़्वाब के बोझ से कपकपाती हुई
हलकी पलकें तेरी
याद आता है सब
तुझे गुदगुदाना, सताना, यूँ ही सोते हुए
गाल पे टीपना, मीचना, बेवजह बेसबब
याद है
पीपल के जिसके घने साए थे
हमने गिलहरी के जूठे मटर खाए थे
ये बरक़त उन हज़रत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
गायक – मोहित चौहान
गीतकार – ग़ुलज़ार
संगीत – विशाल भरद्वाज
Wednesday, September 30, 2009
Tuesday, September 29, 2009
कमीने - कमीने
क्या करे ज़िंदगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले
रात दिन गिले
मेरी आरज़ू कमीनी
मेरे ख़्वाब भी कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने
क्या करे ज़िंदगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले
कभी ज़िंदगी से मांगा पिंजरे में चाँद ला दो
कभी लालटेन देके कहा आसमाँ पे टांगो ।।
जीने के सब करीने
थे हमेशा से कमीने
कमीने कमीने कमीने कमीने
मेरी दास्तां कमीनी
मेरे रास्ते कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने
जिसका भी चेहरा छीला अंदर से और निकला
मासूम-सा कबूतर नाचा तो मोर निकला
कभी हम कमीने निकले कभी दूसरे कमीने
कमीने कमीने कमीने कमीने
मेरी दोस्ती कमीनी
मेरे यार भी कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने
गायक - विशाल भरद्वाज
गीतकार - ग़ुलज़ार
संगीत - विशाल भरद्वाज
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