Tuesday, May 15, 2007

तेरे बिन - बस एक पल

तेरे बिन मैं यूं कैसे जिया कैसे जिया तेरा बिन
तेरे बिन मैं यूं कैसे जिया कैसे जिया तेरा बिन

लेकर यादें तेरी रातें मेरी कटीं
मुझसे बातें तेरी करती है चाँदनी
तन्हा तुझ बिन रातें मेरी दिन मेरे दिन के जैसे नहीं
तन्हा बदन तन्हा है रूह नम मेरी आँखें रहें
आजा मेरे अब रू ब रू जीना नहीं बिन तेरे
तेरे बिन मैं यूं कैसे जिया कैसे जिया तेरा बिन

कब से आँखें मेरी राह में तेरे बिछीं
भूले से भी कभी तू मिल जाए कहीं
भूले न मुझसे बातें तेरी भीगी हर हर पल आँखें मेरी
क्यूं सासं लू क्यूं मैं जीऊं जीना बुरा सा लगे
क्यूं हो गया तू बेवफा मुझको बता दे वजह

बस एक पल - बस एक पल

बस एक पल बस एक पल बस एक पल
बस एक पल बस एक पल बस एक पल

तू इक बार जो प्यार से मुझको छूले तो हर ज़ख़्म भर जाएगा
ज़रा इल्तिजा सुनके दीवाने दिल की मुझे अपने दिल से लगा
तेरे प्यार में ऐसे जीए हम
जला है ये दिल ये आँखें हुईं नम

हमारे ख़्यालों में ख़्वाबों में यादों में बातों में रहते हो तुम
बढ़ाके मैं ये हाथ छूना जो चाहूँ तो पल भर में होते हो ग़ुम
तेरे प्यार में ऐसे जीए हम
जला है ये दिल ये आँखें हुईं नम

सुना है मुहब्बत की तकदीर में लिखें हैं अँधेरे घने
तभी आज शायद सितारे सभी ज़रा सा ही रोशन हुए
तेरे हाथ की इन लकीरों में लिखे अभी और कितने सितम
ख़फ़ा हो गई है खुशी वक्त से हो रहे हैं मेहरबान हम
तेरे प्यार में ऐसे जीए हम
जला है ये दिल ये आँखें हुईं नम