Monday, December 31, 2007

अजब सी - ओम शांति ओम

आँखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसें ये तेरी वो हवाएं हैं

आई ऐसी रात है जो बहुत खु़शनसीब है
चाहे जिसे दूर से दुनिया वो मेरे करीब है
कितना कुछ कहना है फिर भी है दिल में सवाल कहीं
सपनों में जो रोज़ कहा है वो फिर से कहूँ या नहीं

तेरे साथ साथ ऐसा कोई नूर आया है
चाँद तेरी रोशनी का हल्का सा इक साया है
तेरी नज़रों ने दिल का किया जो हशर असर ये हुआ
अब इनमें ही डूब के हो जाऊँ पार यही है दुआ

गायक – के के
गीतकार – जावेद अख़्तर
संगीत – विशाल-शेखर

Sunday, December 30, 2007

तुम से ही - जब वी मेट

न है ये पाना न खोना ही है
तेरा न होना जाने क्यूँ होना ही है
तुमसे ही दिन होता है सुरमई शाम आती है
तुमसे ही तुमसे ही
हर घड़ी साँस आती है ज़िंदगी कहलाती है
तुमसे ही तुमसे ही

आँखों मे आँखें तेरी बाहों में बाहें तेरी
मेरा न मुझमे कुछ रहा हुआ क्या
बातों में बातें तेरी रातें सौगातें तेरी
क्यूँ तेरा सब ये हो गया हुआ क्या
मै कहीं भी जाता तुमसे ही मिल जाता हूँ
तुमसे ही तुमसे ही
शोर में खा़मोशी है थोड़ी सी बेहोशी है
तुमसे ही तुमसे ही

आधा सा वादा कभी आधे से ज़्यादा कभी
जी चाहे कर लूँ इस तरह वफ़ा का
छोडे़ न छूटे कभी तोड़े न टूटे कभी
जो धागा तुमसे जुड़ गया वफ़ा का
मै तेरा सरमाया हूँ जो भी मैं बन पाया हूँ
तुमसे ही तुमसे ही
रास्ते मिल जाते हैं मंज़िलें मिल जाती हैं
तुमसे ही तुमसे ही

न है ये पाना न खोना ही है
तेरा न होना जाने क्यूँ होना ही है

गायक – मोहित चौहान
संगीत – प्रीतम
गीतकार – इरशाद कामिल