थोड़े भीगे-भीगे से थोड़े नम हैं हम
कल से सोए-वोए भी तो कम हैं हम
दिल ने कैसी हरकत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
पहली बार मोहब्बत की है,
आखिरी बार मोहब्बत की है,
आँखें डूबी-डूबी सुरमई मद्धम
झीलें पानी-पानी, बस तुम और हम
बात बढ़ी हैरत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
ख़्वाब के बोझ से कपकपाती हुई
हलकी पलकें तेरी
याद आता है सब
तुझे गुदगुदाना, सताना, यूँ ही सोते हुए
गाल पे टीपना, मीचना, बेवजह बेसबब
याद है
पीपल के जिसके घने साए थे
हमने गिलहरी के जूठे मटर खाए थे
ये बरक़त उन हज़रत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है
गायक – मोहित चौहान
गीतकार – ग़ुलज़ार
संगीत – विशाल भरद्वाज
Wednesday, September 30, 2009
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