Tuesday, September 29, 2009

कमीने - कमीने

क्या करे ज़िंदगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले

रात दिन गिले

मेरी आरज़ू कमीनी
मेरे ख़्वाब भी कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने

क्या करे ज़िंदगी इसको हम जो मिले
इसकी जां खा गए रात दिन के गिले

कभी ज़िंदगी से मांगा पिंजरे में चाँद ला दो
कभी लालटेन देके कहा आसमाँ पे टांगो ।।
जीने के सब करीने
थे हमेशा से कमीने
कमीने कमीने कमीने कमीने

मेरी दास्तां कमीनी
मेरे रास्ते कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने

जिसका भी चेहरा छीला अंदर से और निकला
मासूम-सा कबूतर नाचा तो मोर निकला
कभी हम कमीने निकले कभी दूसरे कमीने
कमीने कमीने कमीने कमीने

मेरी दोस्ती कमीनी
मेरे यार भी कमीने
इक दिल से दोस्ती थी
ये हुजू़र भी कमीने

गायक - विशाल भरद्वाज
गीतकार - ग़ुलज़ार
संगीत - विशाल भरद्वाज

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