तुम ही एहसासों में तुम्हीं जज़्बातों में
तुम ही लम्हातों में तुम ही दिन रातों में
बाख़ुदा तु्म्हीं हो, हर जगह तुम्हीं हो
हाँ मैं देखूँ जहाँ जब उस जगह तुम्हीं हो
ये जहाँ तुम्हीं हो वो जहाँ तुम्हीं हो
इस ज़मीं से फ़लक के दरमियाँ तुम्हीं हो
तुम ही हो बेशुबा तुम ही हो
तुम ही हो मुझ में हाँ तुम ही हो
तुम ही हो
कैसे बताएं तुम्हें और किस तरह ये
कितना तुम्हें हम चाहते हैं
साया भी तेरा दिखे तो पास जाके
उस में सिमट हम जाते हैं
रास्ता तुम्हीं हो रहनुमा तुम्हीं हो
जिसकी ख़्वाहिश है हमको वो पनाह तुम्हीं हो
तुम ही हो बेशुबा तुम ही हो
तुम ही हो मुझ में हाँ तुम ही हो
तुम ही एहसासों में तुम्हीं जज़्बातों में
तुम ही लम्हातों में तुम ही दिन रातों में
कैसे बताएं तुम्हें शब में तुम्हारें ख़्वाब हसीं जो आते हैं
कैसे बताएं तुम्हें लम्स वो सारे जिस्म को जो महकाते हैं
इब्तिदा तुम्हीं हो, इंतेहा तुम्हीं हो
तुम हो जीने का मकसद और वजह तुम्हीं हो
बाख़ुदा तु्म्हीं हो,हर जगह तुम्हीं हो
हाँ मैं देखूँ जहाँ जब उस जगह तुम्हीं हो
ये जहाँ तुम्हीं हो, वो जहाँ तुम्हीं हो
इस ज़मीं से फ़लक के दरमियाँ तुम्हीं हो
तुम ही हो बेशुबा तुम ही हो
तुम ही हो मुझ में हाँ तुम ही हो
तुम ही हो
तुम ही हो
गायक - आतिफ़ असलम, अलका याज्ञिक
गीतकार - सैय्यद कादरी
संगीत - प्रीतम
Tuesday, February 17, 2009
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