ऐसी उलझी नज़र उनसे हटती नहीं
दाँत से रेशमी डोर कटती नहीं
उम्र कब से बरस के सुफ़ेद हो गई
कारी बदरी जवानी की छटती नहीं
वल्लाह ये धड़कन बढ़ने लगी है
चेहरे की रंगत उड़ने लगी है
डर लगता है तनहा सोने में जी
दिल तो बच्चा है जी
थोड़ा कच्चा है जी
हाँ दिल तो बच्चा है जी
थोड़ा कच्चा है जी
किसको पता था पहलू में रखा
दिल ऐसा पाजी भी होगा
हम तो हमेशा समझते थे कोई
हम जैसा हाजी भी होगा
हाय ज़ोर करें, कितना शोर करें
बेवजह बातों पे ऐंवे गौर करें
दिल-सा कोई कमीना नहीं
कोई तो रोके, कोई तो टोके
इस उम्र में अब खाओगो धोखे
डर लगता है इश्क करने में जी
दिल तो बच्चा है जी
दिल तो बच्चा है जी
थोड़ा कच्चा है जी
हाँ दिल तो बच्चा है जी
ऐसी उदासी बैठी है दिल पे
हँसने से घबरा रहे हैं
सारी जवानी कतरा के काटी
पीड़ी में टकरा गए हैं
दिल धड़कता है तो ऐसा लगता है वो
आ रहा है यहीं देखता ही न हो
प्रेम से मारें कटार रे
तौबा ये लम्हे कटते नहीं क्यों
आँखों से मेरी हटते नहीं क्यों
डर लगते है मुझसे कहन में जी
दिल तो बच्चा है जी
दिल तो बच्चा है जी
थोड़ा कच्चा है जी
हाँ दिल तो बच्चा है जी
गायक - राहत फ़तेह अली खान
गीतकार - गुलज़ार
संगीत - विशाल भरद्वाज
Monday, January 25, 2010
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