Thursday, July 26, 2007

सूना सूना लम्हा लम्हा - कृष्णा कॉटेज

सूना सूना लम्हा लम्हा मेरी राहें तन्हा तन्हा
आकर मुझे तुम थाम लो मंज़िल तेरी देखे रस्ता
मुड़ के ज़रा अब देख लो ऐसा मिलन फिर हो न हो
सब कुछ मेरा तुम ही तो हो

बेपनाह प्यार है आजा
तेरा इंतज़ार है आजा ।।

सूना सूना लम्हा लम्हा मेरी राहें तन्हा तन्हा

बिछड़े भी हम जो कभी रास्तों में तो संग संग रहूंगी सदा
कदमों की आवाज़ सुनके चलूंगी तुम्हें ढूँढ लूंगी सदा
भूली मुहब्बत की ये ख़ुश्बुएं हैं हवाओं में फैली हुईं
छू कर मुझे आज महसूस कर लो है यादें मेरी अनछुई
ऐसा मिलन फिर हो न हो
सब कुछ मेरा तुम ही तो हो

बेपनाह प्यार है आजा
तेरा इंतज़ार है आजा ।।

सूना सूना लम्हा लम्हा मेरी राहें तन्हा तन्हा

मुड़ के ज़रा अब देख लो ऐसा मिलन फिर हो न हो
सब कुछ मेरा तुम ही तो हो

बेपनाह प्यार है आजा
तेरा इंतज़ार है आजा ।।

यादों के धागों में हम तुम बंधे हैं ज़रा डोर तुम थाम लो
बाहों में फिर से पिघल जाने दो मुझको फिर से मेरा नाम लो
मैं वो शमा हूँ जो रोशन तुम्हें करके ख़ुद तो पिघल जाऊँगी
सुबह का सूरज तुम्हारे लिए है मैं हूँ रात ढल जाऊँगी
ऐसा मिलन फिर हो न हो
सब कुछ मेरा तुम ही तो हो

बेपनाह प्यार है आजा
तेरा इंतज़ार है आजा ।।

सूना सूना लम्हा लम्हा मेरी राहें तन्हा तन्हा

मुड़ के ज़रा अब देख लो ऐसा मिलन फिर हो न हो
सब कुछ मेरा तुम ही तो हो

बेपनाह प्यार है आजा
तेरा इंतज़ार है आजा ।।


गायक – श्रेया घोषाल
गीतकार – नीलेश मिश्रा
संगीत – अनु मलिक

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