Wednesday, June 6, 2007

मैंने दिल से कहा - रोग

मैंने दिल से कहा ढूँढ लाना ख़ुशी
नासमझ लाया ग़म तो ये ग़म ही सही

बेचारा कहां जानता है ख़लिश है ये क्या ख़ला है
शहर भर की खुशी से ये दर्द मेरा भला है
जश्न ये रास ने आए मज़ा तो बस ग़म में आए

कभी है इश़्क का उजाला कभी है मौत का अंधेरा
बताओ कौन भेस होगा मैं जोगी बनूं या लुटेरा
कई चेहरे हैं इस दिल के न जाने कौन सा मेरा

हज़ारों ऐसे फासले थे जो तय करने चले थे
राहें मगर चल पड़ी थीं और पीछे हम रह गए थे
कदम दो चार चल पाएं किए फेरे तेरे मन के

गायक – के के
गीतकार – नीलेश मिश्रा
संगीत – एम एम करीम

2 comments:

Unknown said...

this is a very nice song. its lyric is best

Unknown said...

kk is one of the best singer