रिश्ते भरोसे चाहत यकीं उन सबका दामन अब चाक है
समझे थे हाथों में है ज़मीं मुट्ठी जो खोली बस ख़ाक है
दिल में ये शोर है क्यूं
इमां कमज़ोर है क्यूं
नाज़ुक ये डोर है क्यूँ
गायक: शफ़कत अमानत अली खान, करसन सागथिया
संगीत: सलीम-सुलैमान
गीतकार: मीर अली हुसैन
Thursday, March 22, 2007
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