ये हौसला कैसे झुके
ये आरज़ू कैसे रुके
मंज़िल मुश्किल तो क्या
धुंधला साहिल तो क्या
तन्हा ये दिल तो क्या
राह में काँटे बिखरे अगर
उसपे तो फिर भी चलना ही है
शाम छुपा ले सूरज मगर
रात को इक दिन ढलना ही है
रुत ये टल जाएगी
हिम्मत रंग लाएगी
सुबह फिर आएगी
होगी हमे जो रहमत अता
धूप कटेगी साए तले
अपनी ख़ुदा से है ये दुआ
मंज़िल लगाले हमको गले
जुर्रत सौ बार रहे
ऊँचा इकरार रहे
जिन्दा हर प्यार रहे
गायक: शफ़कत अमानत अली ख़ान, सलीम मर्चंट
संगीत: सलीम-सुलैमान
गीतकार: मीर अली हुसैन
Tuesday, March 20, 2007
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