रतिया कारी कारी रतिया
रतिआ अंधियाई रतिया
रात हमारी तो चाँद की सहेली है
कितने दिनों के बाद आई वो अकेली है
चुप्पी की बिरहा है झिंगुर का बाजे साज
रात हमारी तो चाँद की सहेली है
कितने दिनों के बाद आई वो अकेली है
समझा के बातें भी कोई बुझा दे आज
अँधेरे से जी भर के करनी है बातें आज
अँधेरा रूठा है अँधेरा ऐंठा है
गुमसुम सा कोने में बैठा है
अँधेरा पागल है कितना घनेरा है
चुभता है डसता है फिर भी वो मेरा है
उसकी ही गोदी में चुपके से सोना है
उसकी ही बाँहों में सर रख के रोना है
आँखों से काजल बन बहता अँधेरा
गायक: चित्रा
संगीत: शांतनु मोइत्रा
गीतकार: स्वानन्द किरकिरे
Monday, March 19, 2007
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