Friday, July 27, 2007

आँखों में रहते हैं - अनकही

आँखों में अंजाने रहते मंज़र कई
सीने में चुभती है कोई बेबसी नई
यादों में सजी कुछ बातें अनकही
इन बातों में कहीं खोई है ज़िंदगी
आँखों में अंजाने रहते मंज़र कई
सीने में चुभती है कोई बेबसी नई

दिल भूले नहीं क्यों बीते पल कोई यहां करे भी तो क्या
टूटे हैं अरमां सपने भी कैसे इन्हें सदा दूं मैं
यादों में सजी कुछ बातें अनकही
इन बातों में कहीं खोई है ज़िंदगी
आँखों में अंजाने रहते मंज़र कई
सीने में चुभती है कोई बेबसी नई

क्या ज़िंदगी है पूछो न लेती सदा नए इम्तिहां
ये इश्क भी है इक सज़ा कैसे तुझे बताऊँ मैं
यादों में सजी कुछ बातें अनकही
इन बातों में कहीं खोई है ज़िंदगी
आँखों में अंजाने रहते मंज़र कई
सीने में चुभती है कोई बेबसी नई


गायक – शान, कुणाल गांजावाला
गीतकार – समीर
संगीत - प्रीतम

2 comments:

Shastri JC Philip said...

आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप अच्छा लिखते हैं, लेकिन आपकी पोस्टिंग में बहुत समय का अंतराल है. सफल ब्लागिंग के लिये यह जरूरी है कि आप हफ्ते में कम से कम 3 पोस्टिंग करें. अधिकतर सफल चिट्ठाकार हफ्ते में 5 से अधिक पोस्ट करते हैं. किसी भी तरह की मदद चाहिये तो मुझ से संपर्क करे webmaster@sararhi.info -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!

Ashish said...

शास्त्री जी, आपने मेरे ब्लॉग को ढूंढ निकाला, उसमें दिलचस्पी दिखाई और यह टिप्पणी की, बहुत प्रोत्साहन मिला। कोशिश करूंगा कि बराबर लिखता रहूं। आशा करता हूँ आपका सहयोग एवं प्रोत्साहन मिलता रहेगा।