अरे रुक जा
अरे थम जा
अरे रुक जा रे बंदे
अरे थम जा रे बंदे
कि क़ुदरत हंस पड़ेगी ।।
अरे नींदें हे ज़ख़्मी
अरे सपने हैं भूखे
कि करवट फट पड़ेगी
अरे रुक जा रे बंदे
अरे थम जा रे बंदे
कि क़ुदरत हंस पड़ेगी ।।
अरे मंदिर ये चुप है
अरे मस्जिद है गुमसुम
इबादत थक पड़ेगी
समय की लाल आँधी
कब्रिस्तां के रस्ते
अरे लथपथ चलेगी
किसे काफ़िर कहेगा
किसे कायर कहेगा
तेरी कब तक चलेगी ।।
अरे रुक जा रे बंदे
अरे थम जा रे बंदे
कि क़ुदरत हंस पड़ेगी ।।
अरे मंदिर ये चुप है
अरे मस्जिद है गुमसुम
इबादत थक पड़ेगी
समय की लाल आँधी
कब्रिस्तां के रस्ते
अरे लथपथ चलेगी
अरे रुक जा रे बंदे
अरे थम जा रे बंदे
कि क़ुदरत हंस पड़ेगी
अरे नींदें हे ज़ख़्मी
अरे सपने हैं भूखे
कि करवट फट पड़ेगी
ये अँधी चोट तेरी
कभी की सूख जाती
मगर अब पक चलेगी
गायक – इंडियन ओशन
संगीत – इंडियन ओशन
गीतकार – पीयूष मिश्रा
Sunday, April 15, 2007
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