आँखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसें ये तेरी वो हवाएं हैं
आई ऐसी रात है जो बहुत खु़शनसीब है
चाहे जिसे दूर से दुनिया वो मेरे करीब है
कितना कुछ कहना है फिर भी है दिल में सवाल कहीं
सपनों में जो रोज़ कहा है वो फिर से कहूँ या नहीं
तेरे साथ साथ ऐसा कोई नूर आया है
चाँद तेरी रोशनी का हल्का सा इक साया है
तेरी नज़रों ने दिल का किया जो हशर असर ये हुआ
अब इनमें ही डूब के हो जाऊँ पार यही है दुआ
गायक – के के
गीतकार – जावेद अख़्तर
संगीत – विशाल-शेखर
Monday, December 31, 2007
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1 comment:
आशीष जी, बहुत अच्छे । पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। मेरे को भी ऐसे ही दिल को छू-लेने वाले गीतों के बोल नोटबुक में लिखने का शौक है। आप ने तो काम ही आसान कर दिया। अब आप की ब्लाग पर आना जाना लगा रहेगा। पता नहीं कब कौन से गीत के बोल मिल जाएं।
शुभकामनाएं।
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