वो लम्हें वो बातें कोई न जाने
थी कैसी रातें बरसातें
वो भीगी भीगी यादें वो भीगी भीगी यादें
न मैं जानूं न तू जाने
कैसा है ये मौसम कोई न जाने
कहीं से ये ख़िज़ा आई
ग़मों की धूप संग लाई
खफ़ा हो गए हम जुदा हो गए हम
सागर की गहराई से गहरा है अपना प्यार
सहराओं की इन हवाओं में कैसे आएगी बहार
कहां से ये हवा आई
घटाएं काली क्यूं छाईं
खफ़ा हो गए हम जुदा हो गए हम
गायक – अतीफ़ असलम
गीतकार – सईद क़ादरी
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1 comment:
धन्यवाद इस सुन्दर गीत के लिए।
हमारा काफी समय से मानना है कि हिन्दी चिट्ठाकारी के विकास के लिए विषय आधारित ब्लॉग होने चाहिए। आपका चिट्ठा इसी विकास की एक कड़ी है।
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