Thursday, November 12, 2009

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी – बावरा मन

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरे-से मन की देखो बावरी है बातें।।

बावरी-सी धड़कनें हैं बावरी है साँसें

बावरी-सी करवटों से निंदिया क्यों भागे

बावरे-से नैन चाहे बावरे झरोखों से

बावरे नज़ारों को तकना

बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरे-से इस जहाँ में बावरा इक साथ हो

इस सयानी भीड़ में बस हाथों में तेरा हाथ हो

बावरी-सी धुन हो कोई बावरा इक राग हो।।

बावरे-से पैर चाहें बावरे तरानों के

बावरे-से बोल पे थिरकना

बावरा मन देखने चला एक सपना

बावरा-सा हो अँधेरा बावरी खामोशियाँ।।

थरथराती लौ हो मद्धम बावरी मदहोशियाँ

बावरा इक घुंघटा चाहे हौले हौले बिन बताए।।

बावरा-से मुखड़े से सरकना

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

बावरा मन देखने चला एक सपना।।

गायक स्वानंद किरकिरे

गीतकार पुष्पा पटेल

संगीत शांतनु मोइत्रा