Thursday, April 24, 2008

दर्द-ए-डिस्को - ओम शांति ओम

वो हसीना वो नीलमपरी
कर गई कैसी जादूगरी
नींद इन आँखों से छीन ली है
दिल में बेचैनियां हैं भरी
मैं बेचारा हूँ आवारा भोला
समझाऊँ मैं ये अब किस किस को
दिल में मेरे है दिल में मेरे है दर्द-ए दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दिल में मेरे है दर्द-ए दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दर्द-ए डिस्को


फ़स्ल-ए ग़ुल थी ग़ुलपोशियों का मौसम था
हम पर कभी सरग़ोशियों का मौसम था ।।
कैसा जुनूं ख़्वाबों की अंजुमन में था
क्या मैं कहूँ क्या मेरे बांकपन में था
रंजिश का चला था गुब्बारा
फूटा जो ख़्वाब का गुब्बारा
तो फिरता हूँ मैं लंडन पेरिस
न्यूयॉर्क एल ए सैन फ्रैंसिस्को
दिल में मेरे है दिल में मेरे है दर्द-ए दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दिल में मेरे है दर्द-ए दर्द-ए डिस्को
दिल में मेरे है दर्द-ए डिस्को
Dard-e-disco come on now let’s go

लम्हा लम्हा अरमानों की फ़रमाईश थी
लम्हा लम्हा जुर्रअत की आज़माईश थी
अब्र-ए करम घिर घिर के मुझ पे बरसा था
अब्र-ए करम बरसा तो कब मैं तरसा था
फ़िर तू न हुआ मंज़र मेरा
वो मेरा सनम दिलबर मेरा
दिल तोड़ गया मुझे छोड़ गया
वो पिछले महीने की छब्बिस को

गायक – सुखविंदर
गीतकार – जावेद अख़्तर
संगीत – विशाल-शेखर